सिमेज कॉलेज ने छठ पर्व के अवसर पर लॉन्च किया छठ गीत ‘माई खातिर’ | ग्लोबल वर्ल्ड में बिहार के युवाओं की नई छवि प्रस्तुत करता छठ गीत “माई खातिर” रिलीज
छठ के पारम्परिक गीत के बहाने, आगे बढ़ते और बदलते बिहार की तस्वीर प्रस्तुत करने का प्रयास
बिहार के युवा सफल भी हैं, आधुनिक भी हैं और अपनी मिटटी – परंपराओं से भी जुड़े हैं
सिमेज कॉलेज द्वारा लोक संस्कृति के पावन पर्व छठ पर्व के अवसर पर एक गीत और वीडियो “माई खातिर” को लॉन्च किया गया | यह वीडियो छठ के अन्य पारम्परिक वीडियो से कई मायने में हट कर है | इस वीडियो में पहली बार एक ऐसे युवा छठ व्रती की कहानी दिखाई गई है, जो जिंदगी में सफल भी है, आधुनिक भी है लेकिन इसके बावजूद अपनी मिटटी और परम्पराओं को नहीं भुला है और यही बात सीधा लोगों के दिलों तक पहुँचती है |
इस गीत को सुप्रसिद्द लोक तथा शाश्त्रीय संगीत गायिका रंजना झा ने गाया है | इस संगीत वीडियो में एक बिहारी युवा, जो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की आई.टी. कंपनी में एक उच्च पद पर कार्यरत है, उसके इतने बड़े कंपनी में, इतने ऊँचे पद पर काम करने के बावजूद भी अपने पारंपरिक मूल्यों से जुड़े रहने की, उन परंपराओं और मुल्यों को ना भूलने की कहानी दिखाई गई है | इसमें बताया गया है कि किस प्रकार जब इस युवा की माँ, जो अपने बच्चे की मनता लिए वर्षों से छठ करती रही है, वह इस बार बीमार पड़ जाती और और उसका शरीर जवाब दे देता है तो वैसी परिस्थिति में उसका बेटा कैसे परिवार की परम्परा को निभाता है और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता है और किस प्रकार यह छठ का पर्व उसके लिए व्यक्तिगत ना होकर सामाजिक बन जाता है – कैसे देश-विदेशों की बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों में काम कर रहे उसके दोस्त अपनी भूमिका निभाते है – इसे दर्शाया गया है |
ये छठ गीत नए बिहारी युवा की कहानी है, जो जिम्मेवार है, जो अपने दिल मे अपनी माँ के प्यार को साथ ले कर चलता है, जो दोस्तो का दोस्त है, जो पाश्चत्य संस्कृति के बीच भी अपने सनातन मूल्यों को नही भूलता । ये बदलते बिहारी युवा की तस्वीर है, जो सौम्य है, भावुक है, जिम्मेवार है, सक्षम है, इस देश को आगे ले जाने वाला है | सिमेज कॉलेज द्वारा महापर्व छठ को लेकर एक ऐसे गाने की प्रस्तुति की गई है जिसमें आधुनिकता और पाश्चात्य संस्कृति के आकर्षण के बीच ग्लोबल वर्ल्ड में बिहार के युवाओं की नई छवि प्रस्तुत करता है। इस छठ गीत में एक कहानी भी साथ-साथ चलती है जो नए बिहार की छवि गढ़ती है, जिसके युवा आज ग्लोबल वर्ल्ड में अपने प्रदेश और परिवार का नाम तो रोशन कर ही रहे हैं, साथ ही अपनी माटी से भी उनका प्रेम कम नहीं है। इस गीत में एक ऐसे बेटे की कहानी है जो अपनी मां के लिए छठ करता है, क्योंकि उसकी मां बीमार होती है। बेटे की नौकरी हो जाए इसलिए मां ने जो मन्नत मांगी थी उसे भी उसका बेटा पूरा कर रहा होता है।
छठ गीत “माई खातिर” को लेकर सिमेज के निदेशक प्रो. नीरज अग्रवाल ने कहा कि “इस गाने को बनाने का मकसद यह था कि जब भी बिहारी युवाओं का जिक्र होता है, तब लोगों के मन में अक्सर बिहार के युवाओं की नकारात्मक छवि बनती है। अगर थोड़ी सी सकारात्मक छवि होती भी है तो वह इस आईएएस – आईपीएस को लेकर होती है। लेकिन हर वर्ष मात्र 1000 के आसपास युवा ही पूरे देश से UPSC के विभिन्न संवर्गो में जॉइन करते है । इस छठ गीत के माध्यम से उस मौन क्रांति को दिखाया जा रहा है जिसे बिहार के युवा मूर्त रूप दे रहे है । आज पूरे भारत मे न सिर्फ सरकारी जॉब में बल्कि आई-टी सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर और स्टार्टअप हर क्षेत्र में बिहारी युवा अपनी प्रतिभा के बल पर देश को आगे बढ़ा रहे है, पटना के सिमेज के छात्र भी आज माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, पेपाल, मोर्गन स्टेनली, डेलॉयट, असेंचर, अमेज़न, आईबीएम आदि बहुराष्ट्रीय कंपनियों में योगदान दे रहे है, ये सिर्फ बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, गुड़गांव में ही कार्यरत नही है बल्कि टेक्सास (US), लंदन, दुबई, सिंगापुर, सिडनी आदि वैश्विक हब में देश का परचम लहरा रहे है, लेकिन आधुनिकता और वैश्विक सफलता मिलने के बावजूद ये बिहारी युवा न अपनी संस्कृति को भूले है न परिवार के संस्कार को ।”
उन्होंने कहा कि भले “आज बिहार के युवा आधुनिक युग में पश्चात संस्कृति के बीच अपनी पहचान बना रहे हैं लेकिन उनमें देश की संस्कृति और बिहार की माटी की सुगंध आज भी रचती बसती है यही वजह है कि जब छठ पर्व का माहौल आता है, तब उनके मन में इस महापर्व के प्रति यादें ताजा हो जाती हैं और वह अपने गांव घर आने को बेकरार हो जाते हैं। इस गाने में जहां मां का वात्सल्य और अपनी संस्कृति से जुड़ाव का भाव देखने को मिलता है, वहीं सच्ची मित्रता का भी बोध इस गीत में झलकता है। इसलिए मुझे लगता है कि यह गाना महापर्व छठ के साथ-साथ नए बिहार की छवि को भी एक व्यापक परिदृश्य में प्रदर्शित करता है। इसलिए मैं समस्त बिहार वासियों से आग्रह करूंगा कि वह एक बार इस गाने को जरूर देखें।”
इस छठ गीत “माई खातिर” को सिमेज पटना के ऑफिसियल यूट्यूब से रिलीज किया गया है। इसके निर्देशक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता प्रतीक शर्मा हैं, जबकि चर्चित शास्त्रीय संगीत और लोकगायिका रंजना झा ने इसे गाया है। गीतकार टीवी की मशहूर कलाकार अस्मिता शर्मा हैं। इस गाने में पीयूष मित्र और मोना झा के अलावा आशीष मिश्रा और अभिषेक भी मुख्य भूमिका में नजर आए हैं। जबकि गेस्ट एपियरेंस में खुद नीरज अग्रवाल, नीरज पोद्दार और मेघा अग्रवाल हैं।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पारंपरिक संगीत के क्षेत्र में मेलोडी कॉपीराइट क्लेम एवं स्ट्राइक के मुद्दे पर भी चर्चा की गई | इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी मुद्दा उठा कि चूँकि यह गीत पारम्परिक धुन पर था इसलिए इस गीत पर एक बड़ी कंपनी के द्वारा कॉपीराइट एक्ट का दावा किया गया, जिसपर गायिका रंजना झा ने अपना विरोध दर्ज कराया | रंजना झा की इस मुहीम का साथ बिहार की लोक संस्कृति एवं कला से जुड़े सभी कलाकारों ने दिया | संगीत के क्षेत्र में स्थापित कुछ बड़ी कम्पनियाँ ऐसी हैं, जो नये पारंपरिक कलाकारों एवं कंटेंट क्रियेटर का, मेलोडी कॉपीराइट क्लेम एवं स्ट्राइक के आधार पर दोहन और शोषण करती हैं | कलाकारों तथा यूट्यूबर्स द्वारा इस विषय पर एक मंच तैयार करने की आवश्यक्ता महसूस की गई, जिसमे ये बड़ी कंपनियों तथा इंडियन परफोर्मिंग राइट सोसाइटी (IPRS) के द्वारा किये गए गलत क्लेम एवं स्ट्राइक के विरुद्ध प्रतिरोध कर एवं क़ानूनी अधिकारों को संरक्षित किया जा सके | पारंपरिक लोक धुनों पर किसी कंपनी का कापीराईट क्लेम अनुचित है |
प्रेस कॉन्फ्रेंस को सिमेज के निदेशक प्रो. नीरज अग्रवाल, गायिका रंजना झा ने प्रेस को संबोधित किया तथा प्रेस के सवालों के जवाब दिए इस अवसर पर इस अवसर पर सिमेज कि निदेशिका (ऑपरेशन) मेघा अग्रवाल, डीन नीरज पोद्दार तथा अन्य सभी शिक्षक मौजूद थे, जिन्होंने इस म्यूजिकल लॉन्च पर सभी को अपनी शुभकामनायें दी एवं इस उपलब्धि पर हर्ष जताया |